धूप में छुपा रहा था घोटाला: ₹7700 करोड़ का Scam का खुलासा
सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक राजू रामलिंगा के खिलाफ उजागर हुए घोटाले का पर्दाफाश करते हुए, उसने देश और विदेश में अपने व्यापक धंधों के जरिए कैसे धन जुटाया, यह एक सुधारी गई कहानी है. जनवरी 2009 में राजू ने अपनी कंपनी के खिलाफ 24 सालों तक चलाए गए अकाउंटिंग फ्रॉड को स्वीकार किया. इस घोटाले के परिणामस्वरूप सत्यम कंप्यूटर्स के शेयर 180 रुपये से 6.5 रुपये तक गिर गए, जिससे निवेशकों को करीब 1400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
राजू रामलिंगा का संघर्ष एक किसान परिवार से लेकर सत्यम कंप्यूटर्स की स्थापना तक का है. वह ने अपनी पढ़ाई विजयवाड़ा के लॉयल कॉलेज और ओहियो यूनिवर्सिटी से की थी और शुरुआती दिनों में अपने परिवार के साथ विभिन्न व्यापारों में कोशिशें की थीं. 1987 में उन्होंने अपने भाई बी रामा राजू के साथ मिलकर सत्यम कंप्यूटर्स की स्थापना की. इसके बाद, उन्होंने कंप्यूटर इंडस्ट्री में अपने कौशल को बढ़ाते हुए दुनिया भर के बड़े कार्यों में भाग लिया.
सत्यम कंप्यूटर्स की शुरुआत बहुत उच्च स्तरीय थी, और मई 1992 में यह भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट हुई थी. इसके बाद यह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्ट हो गई थी. इसकी सफलता के चलते सत्यम कंप्यूटर्स को फॉर्च्यून 500 की 150 से भी ज्यादा कंपनियां अपने क्लाइंट्स में शामिल करने का बड़ा मौका मिला. Y2K Bug के समय इसको और भी बड़ा मौका मिला, जिससे इसने विश्वभर में अपनी पहचान बनाई. इसके बावजूद, बाद में कारोबार कम होने के बावजूद, राजू ने अपनी धनराशि बढ़ाने के लिए धनिक रास्तों का चयन किया.
अपने संप्राप्त धन को विस्तार से बढ़ाने के लिए राजू ने एक फर्जी कंपनी मेटियस की स्थापना की, जिसका वास्तविक उद्देश्य सत्यम कंप्यूटर्स के साथ अवैध गतिविधियों को ढंग से छिपाना था. इससे उसने कई तरीकों से धन का संचय किया, जैसे कि अवैध इंसाइडर ट्रेडिंग, फर्जी कंपनियों के माध्यम से पैसे जुटाना, और अन्य विभिन्न धरोहरों का दुरुपयोग करके धन का संचय करना।
राजू रामलिंगा ने अपने काले कारनामों का अंजाम देने के लिए कुशलता से दैहिक और आर्थिक विपरीतताएं बनाईं और एक भ्रष्टाचारी तंत्र में शामिल हो गए। उन्होंने लगभग 342 फर्जी कंपनियों को बनाया, जिनका उपयोग पैसों को सर्कुलेट करने और अवैध लेन-देन करने के लिए किया गया। इन कंपनियों के माध्यम से उन्होंने देशवासियों को ठगा और विशाल धन को अपने व्यापक धंधों में संलग्न किया। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने अद्वितीय तरीके से भ्रष्टाचार और अपराधिक गतिविधियों में शामिल होकर समाज और न्यायिक तंत्र को चौंका दिया।
यह अन्ततः सत्यम कंप्यूटर्स घोटाले की एक अध्भुत और आत्मकथा है, जिसमें राजू रामलिंगा ने व्यापक धंधों, उच्च शैली और सत्य के बिना कैसे विश्वास जीता और फिर कैसे उसने अपने ही स्थान से गिरने का सामना किया। इसके जरिए हम देख सकते हैं कि कैसे एक सफल व्यापारी ने अपनी लालची हीरों के पीछे छुपे अपराधिक गतिविधियों से कैसे बचा नहीं सकता था, और उसकी यह कोशिशें कैसे उसके ही पतन की ओर बढ़ा रही थीं।